Ardha Chakrasana | अर्धचक्रासन की विधि, लाभ एवं अंतर्विरोध
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अर्धचक्रासन क्या है?
अर्धचक्रासन Ardha Chakrasana खड़े होकर करने वाले एक योगाभ्यास है। इसका अर्थ समझने के लिए आप इस शब्द को दो भागों में बाँट सकते हैं – संस्कृत भाषा में ‘अर्द्ध’ का अर्थ होता है आधा और ‘चक्र’ का अर्थ होता है पहिया। इस आसन में शरीर की आकृति आधे पहिये के समान हो जाती है, इसीलिए इसे अर्द्ध-चक्रासन कहा जाता है।Nov 18, 2016
अर्धचक्रासन करने की प्रक्रिया | How to do Ardha Chakrasana
- पैरों को एक साथ रखते हुए सीधे खड़े हो जाएँ और हाथों को शरीर के साथ रखें।
- अपने शरीर के वजन को दोनो पैरों पर समान रूप से रखें।
- साँस को अन्दर की ओर खीचें, हाथों को सिर के ऊपर ले जायें और हथेलियाँ एक दूसरे के सामने हों।
- साँस छोड़ते हुए नितम्बों को थोड़ा सा आगे की तरफ धक्का दें, हल्का से पीछे की ओर झुक जाएँ, अपने हाथों को कान से सटा कर रखें, कोहनियाँ तथा घुटने सीधे रखें, सिर सीधा रखते हुये अपने सीने को छत की तरफ उठायें।
- साँस अन्दर की ओर लेते हुए इस अवस्था को कुछ देर बनाये रखें और फिर धीरे से वापस आ जाएँ।
- साँस छोड़ते हुए अपने हाथों को नीचे लायें और विश्राम करें।
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अर्धचक्रासन के लाभ | Benefits of the Ardha Chakrasana
- शरीर के ऊपरी हिस्से (धड़) में खिंचाव पैदा करता है।
- हाथों एवं कंधो की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
अर्धचक्रासन के अंतर्विरोध | Contraindications of the Ardha Chakrasana
- जिन व्यक्तियों को कूल्हे तथा रीढ़ की हड्डी में कोई गंभीर समस्या हो; वह लोग इस आसन को न करें साथ ही जिन्हें उच्च रक्तचाप व मानसिक विकार की समस्या हो वो भी इस आसन को न करें।
- जिन्हें आमाशय या ग्रहणी में घाव हो अथवा हर्निया की तकलीफ हो, उन्हें भी इस आसन को नहीं करना चाहिये।
- गर्भवती स्त्रियों को भी यह आसन नहीं करना चाहिये।
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