Griha Pravesh Muhurat 2022

Griha Pravesh Muhurat 2020

⚜ गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त 2022 ⚜

आज के समय में अपना घर होना किसी सपने से कम नहीं होता हैं। घर वो जगह होती हैं जहाँ व्यक्ति अपनी छोटी-सी दुनिया बसाता है और सपने सजाता हैं। नए घर में प्रवेश करने की ख़ुशी ही अलग होती हैं। ऐसा कहा जाता हैं कि शुभ मुहूर्त, तिथि और नक्षत्र में गृह प्रवेश करने से घर की समस्त नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती हैं। शुभ मुहूर्त में किया गया कोई भी कार्य सदैव ही शुभ फल प्रदान करता हैं। अगर आप वर्ष 2022 में नए घर में प्रवेश की योजना बना रहे हैं तो हम आपको 2022 में गृह प्रवेश की तिथियां प्रदान कर रहे हैं।

दिनांकआरंभ कालसमाप्ति काल
शनिवार, 05 फरवरी07:07:1927:49:34
गुरुवार, 10 फरवरी11:10:2831:03:55
शुक्रवार, 11 फरवरी07:03:1130:37:54
शुक्रवार, 18 फरवरी16:42:3930:57:28
शनिवार, 19 फरवरी06:56:3416:52:06
शनिवार, 26 मार्च20:04:0230:18:53
सोमवार, 02 मई24:33:3829:40:01
बुधवार, 11 मई19:28:3729:33:11
गुरुवार, 12 मई05:32:3118:53:34
शुक्रवार, 13 मई18:49:2329:31:52
शनिवार, 14 मई05:31:1415:24:44
सोमवार, 16 मई13:18:2129:30:02
शुक्रवार, 20 मई05:27:5517:31:04
बुधवार, 25 मई05:25:4529:25:45
गुरुवार, 26 मई05:25:2310:55:48
सोमवार, 30 मई17:00:5729:24:07
बुधवार, 01 जून05:23:3913:00:09
शुक्रवार, 10 जून05:22:3427:37:29
गुरुवार, 16 जून12:37:4629:22:50
बुधवार, 22 जून20:47:1530:14:57
शुक्रवार, 02 दिसंबर06:56:4430:56:44
शनिवार, 03 दिसंबर06:57:3029:36:49
गुरुवार, 08 दिसंबर09:40:1331:01:13
शुक्रवार, 09 दिसंबर07:01:5514:59:40
बुधवार, 21 दिसंबर08:33:4922:18:45

गृह प्रवेश 

घर वह स्थान है जहां हर व्यक्ति अपने जीवन की सुख-सुविधा और बेहतरीन पलों का आनंद लेता है। घर ईंट, सीमेंट और पत्थरों से बना एक ढांचा ही नहीं बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए यादों और सपनों का एक महल होता है। दुनिया में हर आदमी एक अच्छे घर की इच्छा रखता है, जहां पर वह अपने परिजन, रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ अच्छा समय व्यतीत कर सके। हमारी हमेशा यह कोशिश रहती है कि घर में खुशहाली बनी रहे और हमारी खुशियों को किसी की नज़र न लगे। 

गृह प्रवेश क्या है? 

गृह प्रवेश वह अवसर है जब कोई व्यक्ति अपने नये घर में पहली बार प्रवेश करता है। यह एक शुभ अवसर होता है। हालांकि नवनिर्मित घर और कोई खरीदा हुआ पुराना मकान दोनों में ही पहली बार जाने के लिए गृह प्रवेश का कार्यक्रम रखा जाता है। इसमें हवन, शांति और पूजा-अर्चना आदि की जाती है ताकि घर और परिवार में सुख-समृद्धि व शांति बनी रहे। 

गृह प्रवेश मुहूर्त क्या है? 

हमारे जीवन में कई मांगलिक और शुभ अवसर आते हैं और हमारी कोशिश रहती है कि ये शुभ अवसर शुभ समय में संपन्न हो। चूंकि गृह प्रवेश भी एक शुभ अवसर होता है इसलिए प्रयास किया जाना चाहिए कि यह अच्छे से संपन्न हो सके। 

क्यों महत्वपूर्ण है गृह प्रवेश मुहूर्त? 

हिन्दू धर्म में हर शुभ कार्य एक विशेष मुहूर्त में किया जाता है ताकि उस समय विशेष में ग्रह, नक्षत्र और योग आदि के विशेष प्रभाव से हर कार्य अच्छे से संपन्न हो सके। इसी कड़ी में गृह प्रवेश के लिए भी एक विशेष मुहूर्त होता है। 

तीन प्रकार के गृह प्रवेश 

वास्तु शास्त्र के अनुसार गृह प्रवेश तीन प्रकार के होते हैं। इनमें नये, पुराने और किसी कारणवश छोड़े गये घर आते हैं। 

  • अपूर्व गृह प्रवेश: जब पहली बार हम नये घर में रहने के लिए जाते हैं, तो इसे ‘अपूर्व’ गृह प्रवेश कहते हैं। 
  • सपूर्व गृह प्रवेश: कभी-कभी जीवन में ऐसा समय भी आता है जब हम कुछ कारणों से घर छोड़कर दूर चले जाते हैं और अपने घर को खाली छोड़ देते हैं। ऐसी स्थिति में जब हम दोबारा वहां रहने से पहले जो पूजा करते हैं, उसे सपूर्व गृह प्रवेश कहते हैं। 
  • द्वान्धव गृह प्रवेश: यदि किसी परेशानी या आपदा की वजह से जब घर को मजबूरी में छोड़ना पड़ता है और फिर दोबारा प्रवेश करने के लिए पूजा कराई जाती है, वह द्वान्धव गृह प्रवेश कहलाता है। 

कब करें गृह प्रवेश 

गृह प्रवेश के लिए मुहूर्त का निर्धारण किसी ज्योतिषी या पंडित से परामर्श के बाद किया जाना चाहिए। हालांकि ज्योतिषीय दृष्टि से गृह प्रवेश मुहूर्त के नियम इस प्रकार हैं:- 

  • माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ माह को गृह प्रवेश के लिये सबसे उत्तम समय बताया गया है। 
  • चातुर्मास यानि आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और आश्विन के समय गृह प्रवेश समेत अन्य मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। 
  • पौष मास भी गृह प्रवेश के लिए शुभ नहीं माना जाता है। 
  • मंगलवार के दिन भी गृह प्रवेश नहीं किया जाता है। वहीं कुछ विशेष परिस्थितियों में रविवार और शनिवार के दिन भी गृह प्रवेश वर्जित माना गया है। 
  • इसके अलावा सप्ताह के बाकी दिनों में से किसी भी दिन गृह प्रवेश किया जा सकता है। 
  • अमावस्या व पूर्णिमा को छोड़कर शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी तिथि गृह प्रवेश के लिए शुभ मानी गई है। 

गृह प्रवेश में शुभ लग्न का महत्व 

  • ग्रह प्रवेश के समय जन्म लग्न या जन्मराशि से अष्टम लग्न न हो। 
  • जन्मराशि/जन्मलग्न से 3,6,10 या 11वें तथा स्थिर लग्न में गृह प्रवेश करना चाहिए। 
  • ग्राह्म लग्न में लग्न से प्रथम,द्वितीय, पंचम, सप्तम, नवम, दशम भावों में शुभ ग्रह और तृतीय,षष्ठम,एकादश भाव में पापी ग्रह हों तथा चतुर्थ व अष्टम भाव शुद्ध होने पर गृह प्रवेश करना शुभ होता है। 
  • जन्म राशि से षष्ठम, अष्टम और द्वादश भाव में चंद्रमा नहीं होना चाहिए। 

गृह प्रवेश पर क्या करें 

गृह प्रवेश के दिन होने वाली पूजा किसी विद्वान पंडित द्वारा कराई जानी चाहिए। पूजन के संपन्न होने के बाद निम्न बातों का ध्यान रखते हुए घर में प्रवेश करना चाहिए- 

  • घर के मुख्य प्रवेश द्वार को बंदनवार और फूलों से सजाएँ और प्रवेश द्वार के आगे रंगोली बनाएँ। 
  • कलश में गंगा जल या शुद्ध जल भरकर उसमें आम या अशोक के पत्तों के बीच नारियल रखें। 
  • कलश व नारियल पर कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएँ। 
  • पूजा के बाद मंगल कलश लेकर सूर्य की रोशनी में नए घर में प्रवेश करना चाहिए। 
  • घर के पुरुष और स्त्री को नारियल, हल्दी, गुड़, चावल, दूध अपने साथ लेकर गृह प्रवेश करना चाहिए। 
  • पुरुष पहले दाहिना पैर तथा स्त्री बायां पैर बढ़ाकर नए घर में प्रवेश करें। ऐसा करना शुभ माना जाता है। 
  • गणेश जी की मूर्ति, दक्षिणावर्ती शंख और श्री यंत्र को गृह प्रवेश वाले दिन घर में ले जाना चाहिए। 
  • भगवान गणेश की वंदना के साथ घर के ईशान कोण में या फिर पूजा घर में कलश की स्थापित करें। 
  • रसोई घर की पूजा करें और उसमें स्वास्तिक का चिन्ह बनाये। सबसे पहले दूध उबालें और मिठाई बनाकर उसका भोग लगाएँ। 
  • गाय, कौआ, कुत्ता, चींटी आदि के निमित्त भोजन निकाल कर रखें। 
  • अंत में ब्राह्मण या किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराएँ और दक्षिणा दें। 

इस प्रकार विधि विधान से गृह प्रवेश करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है, साथ ही घर पर पड़ने वाली अनष्टि शक्तियों का नाश होता है।