Makar Sankranti : कब है मकर संक्रांति ? जानिए महत्व, पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त

Table of Contents
मकर संक्रांति का वैदिक परिचय – Makar Sankranti ka Vaidik Parichay
भारत एक धर्म निरपेक्ष और सांस्कृतिक विविधताओं वाला देश है। जिसमें अनेक पर्व मनाए जाते हैं, व्रत उपवास रखे जाते हैं। यही कारण है कि भारत में पूरे साल हर्षोल्लास का वातावरण बना रहता है। इन्हीं में एक पर्व Makar Sankranti मकर संक्रांति है।
यह हिन्दू धर्म का प्रमुख पर्व है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य के एक राशि से दूसरी में प्रवेश करने को संक्रांति कहते हैं। दरअसल मकर संक्रांति में ‘मकर’ शब्द मकर राशि को इंगित करता है जबकि ‘संक्रांति’ का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। अर्थात सूर्य उत्तरायन होने लगते है यानी सूर्य उत्तर की तरफ जाने लगते हैं। चूंकि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं,सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के समय काल को ज्योतिष, अध्यात्म वा खगोल विज्ञान अतिविशिष्ट पल बताता है। खगोल विज्ञान का मानना है कि उत्तरी वा दक्षिणी छोर अंतिम बिन्दु (कर्क वा मकर रेखा)तक सूर्य की रोशनी एकदम सीधी (लम्बवत)पड़ती है। धरती के उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा से सूर्य जब दक्षिण की ओर बढ़ते है तो दक्षिणायन और जब मकर रेखा से उत्तर की ओर जाते है तो उत्तरायन कहा जाता है। इन दोनों अवस्थाओं में छ्ह माह का अंतराल होता है
धर्म शास्त्रों में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश की इस विशेष तिथि पर इस दिन गंगा स्नान कर व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष महत्त्व है। पौराणिक मान्यता है कि देवताओं का वास स्थान उत्तरी ध्रुव और दैत्यों का दक्षिणी ध्रुव है। बिज्ञान बताता है कि सूर्य की मकर संक्रान्ति खतरनाक विकिरणों में सर्वाधिक खतरनाक अल्ट्रा वायलेट सी से सुरक्षित रखती है।
सम्पूर्ण भारतवर्ष में लोगों द्वारा विविध रूपों में सूर्यदेव की उपासना, आराधना एवं पूजन कर, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की जाती है। सामान्यत: भारतीय पंचांग पद्धति की समस्त तिथियाँ चन्द्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किन्तु मकर संक्रान्ति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है। इसी कारण यह पर्व प्रतिवर्ष 14 जनवरी को ही पड़ता है। शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति के समय पुण्यकाल संक्रांति से 6 घंटे पहले तथा संक्रांति के ख़त्म होने के 6 बाद तक रहता हैं।
मकर संक्रांति पर्व का वैदिक महत्व – Makar Sankranti parv ka Vaidik Mahatm
शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को नकारात्मकता तथा उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक कर्मों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस दिन किया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।काशी प्रयाग वा गंगासागर में स्नान का सर्वाधिक महत्व होता है। इस दिन ऊष्मा कारक वस्तुवें दान की जाती है। जैसा कि निम्न श्लोक से स्पष्ट होता है-
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥
मकर संक्रांति से जुड़ी कई प्रचलित पौराणिक कथाएं हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भानु अपने पुत्र शनिदेव से मिलने उनके लोक जाते हैं। शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं। इसलिए इस दिन को मकर सक्रांति के नाम से जाना जाता है।
यह भी माना जाता है मकर संक्रान्ति को ही माँ गंगा को धरती पर लाने वाले भागीरथ ने अपने पूर्वजों का इस दिन तर्पण किया था। द्वापरयुग में महाभारत काल के समकालीन महामहिम भीष्म पितामह को कौन नहीं जानता। प्रसिद्ध महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन के बाणों के शैय्या पर कई दिनों तक पितामह भीष्म सोये रहे और उन्होंने उत्तरायण की प्रतीक्षा की। महामहिम भीष्म उत्तरायण और मकर संक्रांति के महत्व को जानते थे और इसी लिए उन्होंने अपनी इक्षा मृत्यु द्वारा इसी दिन को अपनी मृत्यु के लिया निश्चित किया और मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर उन्होंने मानव शरीर को त्याग दिया और मोक्ष को प्राप्त किया। यह विश्वास किया जाता है कि इस अवधि में देहत्याग करने वाला व्यक्ति जन्म मरण के चक्र से पूर्णत: मुक्त हो जाता है।
मकर संक्रांति देश में किस किस रूप में मनाई जाती है – Makar Sankranti desh me kis kis roop me mnai jati hai
जैसी विविधता इस पर्व को मानाने में है वैसी किसी और पर्व में नहीं। त्यौहार के नाम, महत्त्व और मनाने के तरीके प्रदेश और भौगोलिक स्थिति के अनुसार बदल जाते हैं। दक्षिण भारत में इस त्योहार को पोंगल, तो वहीं उत्तर भारत में इसे लोहड़ी, खिचड़ी, माघी, पतंगोत्सव आदि के नाम से जाना जाता है मध्यभारत में इसे संक्रांति कहा जाता है।
मकर संक्रांति के विशेष पकवान – Makar Sankranti ke vishesh Pakvaan
शीत ऋतु में वातावरण का तापमान बहुत कम होने के कारण शरीर में रोग और बीमारियां जल्दी होती हैं। इसलिए इस दिन गुड़ और तिल से बने मिष्ठान्न या पकवान बनाये, खाये और बांटे जाते हैं। इन पकवानों में गर्मी पैदा करने वाले तत्वों के साथ ही शरीर के लिए लाभदायक पोषक पदार्थ भी मौजूद होते हैं। इसलिए उत्तर भारत में इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है तथा गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक आदि का प्रसाद बांटा जाता है।
मकर संक्रांति के दिन पूजा-पाठ और मन्त्र जाप का कई गुना लाभ मिलता हैं इस दिन सुबह-सुबह सर्वप्रथम गंगा स्नान करके उगते सूर्य भगवान को जल में फूल-अक्षत डाल कर उनको अर्पण करना चाहिए। और उनसे बल, विद्या, बुद्धि का आशीर्वाद माँगना चाहिए। ऐसी मान्यता हैं की इस दिन किया गया दान सौ गुना बढ़कर पुनः प्राप्त होता हैं। सर्दी के समय में वातावरण के साथ-साथ शरीर का भी तापमान बहुत कम रहता हैं। कम तापमान के चलते शरीर में रोग और बीमारी लगने का खतरा हमेशा बना रहता हैं। इसीलिए इन दिनों गुड़ और तिल से बने पकवान या मिष्ठान का सेवन शरूर को अंदरूनी गर्मी प्रदान करता हैं और शरीर के तापमान को संतुलित करने का कार्य करता हैं जिससे की शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का वृद्धि होती हैं और शरीर स्वस्थ रहता हैं। इसीलिए मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर तिलवा, गुड़ से बना रसियाव, गजक, रेवड़ी आदि का खूब निर्माण होता हैं और लोग आपस में एक दूसरे को बाटते भी हैं और खूब खाते भी हैं। हिन्दू धर्म के सभी त्यौहार मानव कल्याण के लिए विज्ञान के रूप से सभी मानव को मनाना जरुरी हैं। मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की भी परम्परा रही हैं इस पर्व के अवसर पर समूचे भारत में खास करके बड़े शहरो में बच्चो और युवाओं में पतंग उड़ाने को लेकर एक खास उत्साह रहता हैं। पतंग महोत्सव भी इसी दिन मनाई जाती हैं तथा इस मकर संक्रांति पतंगमहोत्सव के नाम से भी जाना जाता हैं।
-: मकर संक्रान्ति पुण्य काल मुहूर्त 2022:-
मकर संक्रान्ति शुक्रवार, जनवरी 14, 2022 को
मकर संक्रान्ति पुण्य काल – 02:43 पी एम से 05:37 पी एम
अवधि – 02 घण्टे 54 मिनट्स
मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल – 02:43 पी एम से 04:29 पी एम
अवधि – 01 घण्टा 46 मिनट्स
मकर संक्रान्ति का क्षण – 02:43 पी एम
वैदिक परिवार की ओर से आप समस्त पाठकों को मकर संक्रान्ति के पावन पर्व की बहुत बहुत मंगलकनाए। आपका यह पर्व मंगलमय व्यतीत हो हम ऐसी कामना करते हैं। Happy Makar Sankranti
यदि आपको यह लेख पसंद आया तो इसे फेसबुक या ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर अपने सहयोगी और मित्रों के साथ शेयर करने का कष्ट करें। शेयर बटन पोस्ट के अंत में हैं। हम आपके बहुत आभारी रहेंगे।
साथ ही यदि आपके पास ऐसे ही हिंदी भाषा में कोई धार्मिक जानकारी हो तो आप उसे हमारे साथ शेयर कर सकते हैं उसे हम आपके नाम और फोटो के साथ इस वेबसाइट पर जरूर पब्लिश करेंगे।
आपको ये Makar Sankranti की जानकारी कैसी लगी अपनी प्रतिक्रिया इस लेख के अंत में कमेंट बॉक्स में अवश्य दे। आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए मार्गदर्शन काम करेगीं। आपके प्रतिक्रिया से हमें प्रेरणा मिलेगी और हम ऐसे ही अन्य धार्मिक जानकारियाँ आपके लिए लाते रहेंगे। जाते-जाते नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया देना न भूले।
धन्यवाद…!!
अन्य त्योहार देखने के लिए यहाँ क्लिक करें। मकर संक्रांति को इंग्लिश मे जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।