Yogasan

Matsyasana | मत्स्यासन की विधि, लाभ एवं अंतर्विरोध

मत्स्यासन (Matsyasana)

मत्स्यासन क्या है?

मत्स्यासन करने कि प्रक्रिया | How to do Matsyasana

  • कमर के बल लेट जाएँ और अपने हाथों और पैरों को शरीर के साथ जोड़ लें।
  • हाथों को कूल्हों के नीचे रखें, हथेलियां ज़मीन पर रखें। अपनी कोहनियों को एक साथ जोड़ ले।
  • सांस अंदर लेते हुए, छाती व सर को उठाएँ।
  • अपनी छाती को उठाएं, सर को पीछे कि ओर लें और सर की चोटी को ज़मीन पर लगाएँ।
  • सर को ज़मीन पर आराम से छूते हुए, अपनी कोहनियों को ज़ोर से ज़मीन पर दबाएं, सारा भार कोहनियों पर डालें, सर पर नही। अपनी छाती को ऊँचा उठाएं। जंघा और पैरों को ज़मीन पर दबाएँ।
  • जब तक हो सके, आसन में रहें, लंबी गहरी सांसें लेते रहें। हर बहार जाती सांस के साथ विश्राम करें।
  • सर को ऊपर उठाएँ, छाती को नीचे करते हुए वापस आएं। दोनों हाथों को वापस शरीर के दायें-बायें लगा लें और विश्राम करें।

 

मत्स्यासन करने के लाभ | Benefits of the Matsyasana

  • गर्दन व छाती में खिंचाव पैदा करता है।
  • गर्दन और कन्धों कि मासपेशयों को तनाव मुक्त करता है।
  • सांस से सम्बंधित समस्याओं का निवारण करता है और गहरी लंबी सांस लेने में मदद करता है।
  • पैराथाइरॉइड, पीनियल व पिटिटयूरी ग्लांड्स को परिपोषित करता है।

इस अवस्था में मत्स्यासन न करें | Contraindications of the Matsyasana

  • यदि आपको कम या उच्च रक्त-चाप कि समस्या है तो यह आसन न करें। माइग्रेन व इंसोम्निया ग्रसित लोगों को भी मत्स्यासन नही करना चाहिए। जिन लोगो को कमर या गर्दन में कुछ चोट है, उनको भी यह आसान नही करना चाहिए।

सभी योगासनों की विधि जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *