Natrajasana | नटराजासन की विधि, लाभ एवं अंतर्विरोध
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नटराजासन क्या है?
Natrajasana ‘नटराज’ भगवान शंकर का नर्तक रूप को कहा गया है। योग की यह मुद्रा रीढ़ की हड्डी के लिए बहुत ही लाभप्रद है। नटराजासन करने की प्रक्रिया और लाभ नीचे दिए गए हैं: इसीलिए इस आर्टिकल में मैं आपको Natrajasana क्या है, के अलावाNatrajasana के फायदे, Natrajasana करने का सही तरीका, विधि और सावधानियों के बारे में जानकारी दूंगा।
नटराजासन करने की प्रक्रिया | How to do Natarajasana
- पीठ के बल लेट कर दोनों हाथो को फैला ले। हथेली फर्श की ओर रखे और कंधो के सामान सीधा रखे। पैरो को मोड़ते हुए एड़ी के पास लाये। घुटने आसमान की ओर रखे और गहरी सांस ले। तलवे पूरी तरह ज़मीन को छूते हुए।
- सांस छोड़ते हुए घुंटनो को दाई तरफ झुकाये और अपनी बाई तरफ देखे।
- सांस लेते रहे और हर सांस के साथ अपने घुटनो और कंधो को ज़मीन की और लाने की कोशिश करे।
- ध्यान रखे की कंधे फर्श को छूते रहे। इस अवस्था में अक्सर कंधे फर्श से ऊपर उठ जाते है , इसपर ध्यान रखे।
- जांघों, कमर, हाथ, गर्दन, पेट और पीठ में खिंचाव महसूस करें। प्रत्येक सांस छोड़ते हुए आसन में विश्राम करें।
- सांस ले और घुंटनो को उठाये, ऊपर देखे और सांस छोड़ते हुए घुटनो को बाई तरफ झुकाये और दाई तरफ देखे। इसी अवस्था में रुके और सांस लेते रहे।
- धीरे धीरे सर और घुटने को सीधा कर ले। पैरो को फर्श पर सीधा फैला ले।
- इस आसन को दूसरी और से भी दोहराएं।
नटराजासन के फायदे | Benefits of Natarajasana in Hindi
- मन और शरीर मैं गहरी शांति महसूस होती हैं।
- रीढ़ की हड्डी और चतरू तिरस्क़ मैं खिंचाव होती हैं।
अंतर्विरोध |Contraindications of Natarajasana
- रीढ़ की हड्डी की चोटों के मामले में इस आसन को न करे।
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