Paschim Namaskarasana | पश्चिम नमस्कार आसन की विधि, लाभ एवं अंतर्विरोध
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पश्चिम नमस्कार क्या है?
Paschim Namaskarasana यहाँ पर पश्चिम शब्द दिशा की ओर न संकेत कर पीछे की ओर के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। पश्चिम नमस्कारासन या पीछे की ओर का नमस्कार, शरीर के ऊपरी भाग को मजबूत करता है और मुख्यतः भुजाओं और पेट पर काम करता है। इसे विपरीत नमस्कारासन भी कहते हैं। इसलिए इस आर्टिकल में मैं पश्चिम नमस्कार आसन क्या है, कोणासन करने के फायदे, करने का सही तरीका, विधि और सावधानियों के बारे में जानकारी दूंगा। पश्चिम नमस्कार शब्द, संस्कृत से लिया गया है। इसमें पश्चिम यानि पश्चिम दिशा होता है पर यहाँ दिशा से कोई तात्पर्य ना होते हुए पश्चिम का मतलब है पीछे है और नमस्कार यानि ग्रीटिंग और आसन यानि मुद्रा। इस आसन को Reverse Prayer Pose अर्थात रिवर्स प्रार्थना आसन भी कहते हैं। पश्चिम नमस्कारासन या पीछे की ओर का नमस्कार, शरीर के ऊपरी भाग को मजबूत करने के लिए बेहतरीन है।
पश्चिम नमस्कारासन की विधि | How to do Paschim Namaskarasana
- ताड़ासन से प्रारम्भ करें।
- अपने कंधो को ढीला रखे और अपने घुटनो को थोड़ा मोड़े।
- अपनी भुजाओं को पीछे की ओर ले जाएँ और उँगलियों को नीचे की ओर रखते हुए अपनी हथेलियों को जोड़े।
- सांस भरते हुए उँगलियों को रीढ़ की हड्डी की ओर मोड़ते हुए ऊपर करें।
- ध्यान रखे कि आपकी हथेलिया एक दूसरे से अच्छे से सटी हुई और घुटने हल्का सा मुड़े हुए रहे।
- इस आसन में रहते हुए कुछ साँसे लें।
- सांस छोड़ते हुए उँगलियों को नीचे कि ओर ले आये।
- भुजाओं को अपने सहज अवस्था में लें आये और ताड़ासन में आ जाएँ।
पश्चिम नमस्कारासन के लाभ | Benefits of the Paschim Namaskarasana
- पेट को खोलता है जिससे गहरी साँसे लेना आसान होता है।
- पीठ के ऊपरी हिस्से में खिचाव आता है।
- कन्धों का जोड़ और छाती की मांसपेशियों में खिचाव लाता है।
पश्चिम नमस्कारासन के समय की सावधानियां |Contraindications of the Paschim Namaskarasana
निम्न रक्तचाप और भुजा या कन्धों में चोट वाले लोग इस आसन को करते समय सावधानी बरते।
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