Vrikshasana | वृक्षासन की विधि, लाभ एवं अंतर्विरोध
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वृक्षासन क्या है?
Vrikshasana वृक्ष- पेड़, आसान यह आसन से वृक्ष की शांत एवं स्थिर अवस्था को दर्शाता हैI अन्य योगासनों के विपरीत इस आसन में हमे अपने शरीर के संतुलन को बनाये रखने के लिए आंखे खुली रखनी पड़ती हैंI
वृक्षासन कैसे करें | How to do Vrikshasana
- हाथों को बगल में रखते हुए सीधे खड़े हो जाएँ।
- दाहिने घुटनें को मोड़ते हुए अपने दाहिने पंजे को बाएँ जंघा पर रखेंI आपके पैर का तलवा जंघा के ऊपर सीधा एवं ऊपरी हिस्से से सटा हुआ हो।
- बाएँ पैर को सीधा रखते हुए संतुलन बनाये रखें।
- अच्छा संतुलन बनाने के बाद गहरी साँस अंदर लें, कृतज्ञता पूर्वक हाथों को सर के ऊपर ले जाएँ और नमस्कार की मुद्रा बनाएंI
- बिल्कुल सामने की तरफ देखें, सीधी नज़र सही संतुलन बनाने में अत्यंत सहायक हैI
- रीढ की हड्डी सीधी रहे I आपका पूरा शरीर रबर बैंड की तरह तना हुआ होI हर बार साँस छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोडते जाएँ और विश्राम करें, मुस्कुराते हुए शरीर और साँस के साथ रहेंI
- धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए हाथों को नीचे ले आयेंI धीरे से दाहिने पैर को सीधा करेंI
- सीधे लम्बे खड़े हो जाए बिल्कुल पहले की तरहI अब बाएँ तलवे को दाहिने जांघ पर रख कर आसन को दोहराएंI
वृक्षासन के लाभ | Benefits of Vrikshasana
- इस आसन को करने के पश्चात आप ऊर्जा से परिपूर्ण महसूस करते हैं। यह आसन पैर, हाथों और बाजुयों की मांस-पेशियों में खिंचाव पैदा करता है और आपको पुनः तरो-ताज़ा कर देता है।
- यह मस्तिष्क में स्थिरता और संतुलन लाता हैI
- एकाग्रता बढ़ाने में सहायक हैI
- यह आसन पैरों को मजबूती प्रदान करता है एवं संतुलन बनाने में सहायक हैIजांघो के फैलाव में भी सहायक हैI
- नसों की दर्द में अत्यंत सहायक हैI
वृक्षासन की सावधानियां | Contraindications of Vrikshasana
अगर आप माइग्रेन, अनिंद्रा, अल्प या उच्च रक्तचाप से पीड़ित है तो यह आसन न करेंI (उच्च रक्तचाप वाले इस आसन को हांथो को सर के ऊपर ले जाए बिना कर सकते हैंI हांथो को ऊपर ले जाने से रक्तचाप बढ़ सकता है।)
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